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तुम्हे, मेरा दुसरे मर्दों के साथ,
हँसना और बोलना पसंद नहीं है,- ये समझकर कि मैं तुम्हारी गैर मौजूदगी में, आवारा घूमती-फिरती हूँ, तुम अंदर ही अंदर सुलगते रहते हो...... तुम अपने आपको यंत्रणा देते हो, ये सोचकर- कि मैं तुम्हारे जानने वालो, और अपने जानने वालो, और दुसरे तमाम लोगो के साथ, तुम्हारे खिलाफ बाते किया करती हूँ..... तुम्हे इस वहम ने पागल कर रखा है- कि मैं दूसरे मर्दों के साथ कामुक खेल खेलती होऊंगी , महज़ इस ख़याल से - कि घर वापस आकर तुम्हें न जाने, किस तरह का मंज़र देखना पड़े , तुम्हारे होश गुम हो जाते हैं ....... मेरे साथ रहते हुए, तुम्हारी जिंदगी हजारो - आशंकाओ में घिरी हुयी हैं, लेकिन, तुम इतने बुजदिल हो, कि मेरे बगैर जिंदा भी नहीं रह सकते, और तुममे इतनी योग्यता भी नही हैं - कि शादी-शुदा जिन्दगी के योग्य हो सको!!!!!! मीतू........... Copyright © ( नोट .... .यह कविता मेरी एक मित्र के जीवन से ताल्लुक रखती है , जीवन संघर्ष के दौरान ही वे परिणय सूत्र में बंधे .... विवाह के ३ वर्ष के अन्दर ही अनामिका घर का सारा कार्य करते हुए कड़े संघर्ष के बदौलत नायब तहसीलदार हो गयी किन्तु उसका पति निकम्मा ही रहा ... कई बार उसे व्यवसाय करने के लिए भी पैसा दिया गया ...किन्तु पत्नी की कमाई पर कई व्यवसनो के आदि हो चुके निकम्मे पति को काम करना रास नही आता था ... वह पैसे लेने के लिए आनामिका को उसके कार्य स्थल पर जाकर प्रताड़ित करता था .... बेबुनियाद शक करता था ..और तरह-तरह से मानसिक/शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता था .... यहाँ तक की मेरी उस मित्र के लाख चाहने के बावजूद भी उसने उसको मातृत्व के अधिकार से वंचित रखा था ..तंग आकर मेरी उस मित्र ने आत्महत्या कर ली .! आज वह पुरुष दो बच्चो का पिता है , पत्नी दूकान चलाती है !!! ) ( यह कविता उन शादी-शुदा स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करती है , जिनके पति हीन भावना के चलते अपनी पत्नियों पर बेबुनियाद शक करते है ) |
January 11, 2011 at 7:42 PM �
Kafi Sanwedan shil Blog hai...
January 12, 2011 at 10:44 AM �
zAMANE MEIN AUR BHI GAM HAIN MUHABBAT KE SIVA........BEWARE love makes woman weaker
January 13, 2011 at 1:02 AM �
bahut hi sundar blog
January 20, 2011 at 2:35 PM �
मीतू जी! बेहद संवेदनशील रचना है ये, और जिस प्रसंग पर ये आधरित है वो काफी कचोटने वाला है | हीनभावना से ग्रसित व्यक्ति किसी पर विश्वास नहीं कर सकता क्योंकि उसे खुद पर ही विश्वास नहीं होता | किन्तु प्रेम ही एक ऐसा तत्व माना गया है जो हर विकार को हर सकता है| आपकी मित्र का आत्महत्या करना भी बहुत दुखद रहा, वो स्वयं समर्थ थीं उनको जिंदगी से हर नहीं माननी चाहिए थी | अंत में एक ही बात कहता हूँ " संदेह तो रिश्तों में है पतझड़ की निशानी , आपस में हो विश्वास तो समझो बसंत है | "
January 20, 2011 at 5:47 PM �
यह आम आदमी की मानसिकता का पर खुली चोट है.कविता मुझे पसंद आई.वह भी जो पांच वर्ष की आयु में लिखी गयी थी.आयु में मुझसे आप ( यह संबोधन अजीब लग रहा है लेकिन तकादा यही है इसलिए ठीक है )बहुत छोटी हैं लेकिन लगता है कि ज़िंदगी को बारीक नज़र से देखने \ समझने का शऊर काफी है. लिखना जारी रखें.शुभकामनाएं.
August 20, 2011 at 3:53 PM �
aap ki kavitha puri mari life se jude hai
may bayan nahi ka pa rahi hu ki keya sabdh du
etni sundar hai kavitha
keya kahane
ekdam sahi kha.
bahut bahut sukariya
November 30, 2011 at 2:05 PM �
jeendagi ke safar me gujar jate haijo mukam vo nahi aate,shanka.vaham ko dil me jagah banane n de, meetu aapki saheli ka sach dil me dard de gaya but naib tehsildar hokar aatmhatya ishwar ki rachna ka apman hai
March 12, 2012 at 9:28 PM �
बड़ा ही मर्मस्पशी...घटना बहुत ही दुखद है...वर्णित परस्थिति में शादी-सुदा स्त्री की त्रासदी को आपने बड़े ही बेहतरीन ढंग से कविता में ढाला है...मानसिक उथलपुथल और उस परिस्थिति में महिला के दिल में उठ रही भावना का बड़ा ही सटीक चित्रण किया है आपने...शब्दचित्र जीवंत हो उठा है ..बोल पड़े हैं ...
मेरे साथ रहते हुए, तुम्हारी जिंदगी हजारो -
आशंकाओ में घिरी हुयी हैं,
लेकिन, तुम इतने बुजदिल हो,
कि मेरे बगैर जिंदा भी नहीं रह सकते...
बिलकुल ऐसे ही भाव आते हैं...लेकिन यह एक कडवी सच्चाई है..इस समाज में ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं..दुनिया बदली है..अब महिलाएं घर से बाहर काम पर आई हैं..ऐसे में लोगों से मिलना-जुलना लगा रहेगा ..इस परिस्थिति को कामकाजी महिलाओं के पति को समझना होगा...
एक बेहतरीन विचारणीय रचना !!!
March 12, 2012 at 10:04 PM �
स्त्री की त्रासदी का बहुत ही मार्मिक चित्रण हैं ...
March 13, 2012 at 5:06 PM �
They say-'Women are weaker sex'....only to hide their own weaknesses and shortcomings...)
March 13, 2012 at 5:08 PM �
They say-'Women are weaker sex'...what a farce!...just to hide their own weaknesses...!
March 19, 2012 at 4:28 PM �
bahut hirdaysparshi aur marmik rachna hai aapki,meetu ji.bahut achchha likhti hain aap.poori ghatna padh kar bahut dukh hua ke aise purush bhi hote hain jo apni heen bhavna ka badla doosron se nikalte hain,aise purushon ko marriage karni hi nahin chahiye.apni heen bhavna/apne ego ko satisfied karne ke liye apne "life partner" ko pratadit karna kisi bhi drashti se uchit nahin hai.very shamful.
mukesh saxena