10:36 PM
![]() |
हे प्रभु ! कंहा हो तुम ? कहते हैं सब, तुम हमारे भीतर हो तो बतावो .... पुरुष को कठोर अहंकारी बनाने का अधिकार दिया किसने तुम्हे ? क्यों बनाया स्त्री को तुमने कोमल ,निर्मल समर्पिता,? कहते सुना है स्त्री छलनामयी होती है , कैसे ? छलता तो उसे पुरुष हीं है , पिता, पति , पुत्र और प्रेमी बनकर,.... क्या तुमने नहीं छला स्त्री को ? कोमलांगी , समर्पिता बना कर ..... हे इश्वर मुझसे मिलो तो पूछूं तुमसे ... पुरुष को क्यों नहीं दिए ये गुण ? प्रेम और समर्पण के ....... |
April 16, 2011 at 12:39 AM �
यादि आप सचमुच समय और प्रकृति को
बचाना और बदलना चाहते है. तो उसका एक ही सूत्र है.
लोगों को महिलाओं के लिए स्वयं का रवैया बदलना होगा.
क्योंकि स्त्री हमें प्रकृति के साथ जोड़ती है.
स्त्री का प्रकृति निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है.
क्योंकि हर स्त्री वो नहीं होती जो आप सोचते है.
यह मेरी व्यक्तिगत सोच है सब कुछ देखते हुये
और सबसे बड़ा अनुसंधान भी है.
इसलिए महिलाओं का सम्मान करें. (कृपया)