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तुम मेरे ज़ेहन में तस्वीर की तरह मत आओ , दिल की गहराइयो में उतरता जाता है एक - एक लम्हा !! तमन्नाये बनकर , उमड़ रहा है आँसूवो का तूफान ! कही दूर से आती है आवाज़ , यादो के साये उभरते है ज़ेहन में आहिस्ता - आहिस्ता!! मचल उठती है तबियत उन सायो को पकड़ने के लिए , लेकिन वक्त मुझे आज से जोड़े रखता है , नयी दुनिया बसाने के लिए !! |
September 23, 2010 at 10:20 PM �
आएगा तो तस्वीर बनकर ही,पर दुआ करो कि वह फ्रेम में जड़कर न रह जाए !