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तुमको छूने की ख्वाहिश थी , मगर तुम दूर थे आफताब की तरह ! ये देख लो मेरे हौसलों की उड़ान , पकड़ किया अपने हाथो में गुलो की तरह !! कविता २६ ०९ २०१० अपरान्ह ३:०० |
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comments
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edit
October 4, 2010 at 8:52 PM �
hi nice one dear :)
October 4, 2010 at 10:43 PM �
जो दिल को छू ले वह शब्द, शब्द नहीं रहते,
बल्कि दिल की धड़कन बन जाते है,
धड़कने बढ़ाने के लिए शुक्रिया,
November 28, 2010 at 11:56 PM �
ये देख लो मेरे हौसलों की उड़ान ,
पकड़ किया अपने हाथो में गुलो की तरह !!
वाह मीतू जी वाह . बहुत खूब !!!
November 29, 2010 at 8:48 AM �
Really very Nice
November 29, 2010 at 10:14 AM �
"पकड़ लिया "कर लें तो बेहतर होगा.आप भी हमसे मिलें "santoshtrivedi.com"पर !
November 29, 2010 at 10:10 PM �
Really very Nice