चले जाओ ,
मै अब नही रोकूंगी तुम्हे ,
जाना ही चाहते हो न ,
जाओ ,
किसने तुम्हे रोका है..
पर जाने से पहले ,एक बात समझ लो--

जिन्दगी मे फिर कभी
मुडकर ना देखना,
जिसे तुम छोड़ कर चले गए ,वो जिन्दा है की मर गयी
इसके बारे में भी बिलकुल भी मत सोचना .
उसका सुकून उससे कोसो दूर हो ,
तुम अपनी जिन्दगी सुकून से जीना .
उसे नींद आये ना आये ,
तुम सुन्दर सपनो की नींद सोना !
तुम्हारे साथ जमाना चलेगा गुनगुनाता ,
लेकिन उसकी तनहाइयों को तुम ना सोचना !
तुम दोस्ती करना वादियों की खूबसूरती से ,
उसे अपने टूटे हुए सपनो के साथ छोड़ देना !
तुम सबके के प्यारे बन जाओ ,
वो सिर्फ तुम्हारे प्यार भरी की एक नजर के लिए तडपेगी ..
जाना ही चाहते हो न ,
चले जाओ ,किसने तुम्हे रोका है... !!
मीतू ....Copyright ©

9 Responses to "अलविदा !!"

  1. C. P. Sharma Says:

    इस कविता में एक निस्वार्थ प्यार की तडफन नज़र आती है. सुन्दर अभिव्यक्ति.

  2. राजेश चड्ढ़ा Says:

    हवाएं दिल दुखाएंगी,
    ये आंखें भीग जाएंगी,
    सुनो.....
    अदर चले जाओ,
    सुना है,
    जो अपनी मर्ज़ी से चला जाए,
    कभी वापस नहीं आता.........

  3. kc Says:

    बहुत ही अच्छी है जीवन की वास्तविकता है जीना है तो खुदारी से जीओ Har Sham Se Tera Izhaar Kiya Karte Hai,
    Har Khwab Me Tera Didar Kiya Karte Hai,
    Diwane Hi To Hai Hum Tere,
    Jo Har Waqt Tere Milne Ka Intzaar Kiya Karte Hai…

    Koi Kehta Hai Pyar Ek Tarah Ka Nasha Hai,
    Koi Kehta Hai Pyar Ek Tarah Ki Saza Hai.
    Par Me Kehta Hu Pyar Karo Agar Sacche Dil Se
    To Pyar Jine Ki Ek Aur Wajah Hai….

  4. DEEPAK Says:

    करते हैं तुम से...
    हर रोज़ मुलाकात.....
    होती है बहुत सारी बात...
    फिर भी न जाने क्यूँ....
    अधूरी सी लगती है......
    हर एक मुलाकात.........

  5. Anonymous Says:

    करते हैं तुम से...
    हर रोज़ मुलाकात.....
    होती है बहुत सारी बात...
    फिर भी न जाने क्यूँ....
    अधूरी सी लगती है......
    हर एक मुलाकात.........

  6. Anonymous Says:

    This comment has been removed by a blog administrator.

  7. Kumar Says:

    Hi Kiran,
    I have gone through your complete page & read all the mentioned poems of yours, it's really amazing, mind blowing, even I could become your fan now, would u like to enjoy my cyber friendship over here? I would be grateful of yours for that. Thanks..

  8. Kumar Says:

    Hi Kiran,
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  9. S.K.Singh Says:

    Hello kiran ji,
    really aapke vichorn ki abhibyakti bahut hi sundar hai. In shabdon ki abhibyakti aisi hai koi inme khud jine ko vivash ho jata hai......
    please add me in your face book account(lkosunil.singh@gmail.com)

    Regards,

    sunil singh

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  • संवेदना

    क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर कविता का रूप ले लेती है!! ---किरण श्रीवास्तव "मीतू" !!

    अपने दायरे !!

    अपने दायरे !!
    कुछ वीरानियो के सिलसिले आये इस कदर की जो मेरा अज़ीज़ था ..... आज वही मुझसे दूर है ..... तल्ख़ हुए रिश्तो में ओढ़ ली है अब मैंने तन्हाइयां !! ......... किरण "मीतू" !!

    स्पंदन !!

    स्पंदन !!
    निष्ठुर हूँ , निश्चल हूँ मैं पर मृत नही हूँ ... प्राण हैं मुझमे ... अभी उठना है दौड़ना हैं मुझे ... अपाहिज आत्मा के सहारे ... जीना है एक जीवन ... जिसमे मरण हैं एक बार ... सिर्फ एक बार !! ..... किरण " मीतू" !!

    सतरंगी दुनिया !!

    सतरंगी दुनिया !!
    आस-पास , हास-परिहास , मैं रही फिर भी उदास ...आत्मा पर पड़ा उधार , उतारने का हुआ प्रयास ... खुश करने के और रहने के असफल रहे है सब प्रयास !! ..... किरण "मीतू" !!

    उलझन !!

    उलझन !!
    अकेले है इस जहां में , कहाँ जाए किधर जाए ! नही कोई जगह ऐसी की दिल के ज़ख्म भर जाए !! ... किरण "मीतू" !

    तलाश स्वयं की !!

    तलाश स्वयं की !!
    कुछ क्षण अंतर्मन में तूफ़ान उत्पन्न कर देते है और शब्दों में आकार पाने पर ही शांत होते है ! ..... मीतू !!

    ज़ज़्बात दिल के !

    ज़ज़्बात दिल के !
    मंजिल की तलाश में भागती इस महानगर के अनजानी राहो में मुझे मेरी कविता थाम लेती है , मुझे कुछ पल ठहर जी लेने का एहसास देती है ! मेरी कविता का जन्म ह्रदय की घनीभूत पीड़ा के क्षणों में ही होता है !! ..... किरण "मीतू" !!

    मेरे एहसास !!

    मेरे एहसास !!
    मेरे भीतर हो रहा है अंकुरण , उबल रहा है कुछ जो , निकल आना चाहता है बाहर , फोड़कर धरती का सीना , तैयार रहो तुम सब ..... मेरा विस्फोट कभी भी , तहस - नहस कर सकता है , तुम्हारे दमन के - नापाक इरादों को ---- किरण "मीतू" !!

    आर्तनाद !

    आर्तनाद !
    कभी-कभी जी करता है की भाग जाऊं मैं , इस खुबसूरत ,रंगीन , चंचल शहर से !! दो उदास आँखे .....निहारती रहती है बंद कमरे की उदास छत को ! . ..लेकिन भागुंगी भी कहाँ ? कौन है भला , जो इस सुन्दर सी पृथ्वी पर करता होगा मेरी प्रतीक्षा ? ..... किरण "मीतू" !!

    मेरा बचपन - दुनिया परियो की !

    मेरा बचपन - दुनिया परियो की !
    प्रकृति की गोद में बिताये बचपन की मधुर स्मृतियाँ बार-बार मन को उसी ओर ले जाती है ! मानव जीवन में होने वाली हर बात मुझे प्रकृति से जुडी नज़र आती है तथा मैं मानव जीवन तथा प्रकृति में समीकरण बनाने का प्रयास करती हूँ !....किरण "मीतू

    कविता-मेरी संवेदना !!

    कविता-मेरी संवेदना !!
    वेदना की माटी से , पीड़ा के पानी से , संवेदनाओ की हवा से , आँसूवो के झरनों से ! कोमल मन को जब लगती है चोट , निकलता है कोई गीत , और बनती है कोई कविता !! ..... मीतू !!
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