अब क्या बताएं , हमने क्या-क्या देखा , ज़माने के डर से दोस्त को भाई बनते देखा ! कुत्तो के डर से शेर को राह बदलते देखा , शाश्वत सत्य को अदना झूठ से हारते देखा ! ...भरी दुपहरियां में सूरज को ढ़लते देखा !!! अब क्या बताएं हमने क्या-क्या देखा ... (०३०९२०१० प्रातः १०:००)
|
0 Responses to "क्या-क्या देखा !!"
Post a Comment