नही जानती , तुम्हारी बातो में तिलिस्म है या जादू ..
फिर भी , तुम्हारी हर बात पर एतबार है मुझे !!
नही जानती , कितनी तपिश है तुम्हारे होंठो में ..
फिर भी , उन्हें छूने की कसक है मुझे !!
नही जानती , तुम्हारी आँखे आईना है या समुंदर..
फिर भी , उनमे डूबने की ख्वाहिश है मुझे !!
नही जानती , तुम्हारे साथ से मुझे क्या मिलना और क्या खोना है ..
फिर भी , उस अनुभव को पाने की तड़प है मुझे !!
नही जानती , तुम्हारा बहाव मुझे किस और ले जाएगा ..
फिर भी तुममे तिरोहित हो जाने का शौक है मुझे !!
नही जानती , तुम मेरा साथ दोगे या नही ..
फिर भी तुम्हारे लिए बगावत का हौसला है मुझे !!!!
____ किरण श्रीवास्तव Copyright © २८/९/२०१२ -- सायं ७:२६ !!
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