मुझे प्यार था एक पुष्प से , इतना प्यार की , मुझे डर होने लगा कि- कहीं प्रजिन के तेज़ झोंको से बिखर न जाए उसकी मासूम पंखुड़ियाँ ... कहीं धुप की प्रखर किरणे झुलसा न दे उसको .. कहीं कोई पडोसी तोड़ न ले जाए उसको चुपके से ....! यह सब ख्याल करके , की अब रहे सुरक्षित वह... मैंने बंद कर दिया उसे एक मजबूत बक्से में ! लेकिन वह तो फिर भी मर गया ... नही बचा सका उसे मेरा प्यार .................!! क्योकि मेरा उस पुष्प से प्यार तो अथाह था किन्तु संवेदना अंशमात्र न थी !! ●●●▬▬▬▬▬▬▬●●●▬▬▬▬▬▬▬●●● किरण श्रीवास्तव मीतू Copyright © 30 nov २०११ रात्रि ९:४०
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December 6, 2011 at 2:20 AM �
किरण जी ! इस कविता सहित आपकी अनेक कविताएँ पढ़ीं.......पढ़कर लगा के सचमुच इन विषयों को इन्हीं संवेदनाओं, शब्दों और अभिव्यक्ति की तलाश थी......जो रचनाओं की शक्ल में पूरी हुई...........मुबारक़बाद और शुभकामनाएं. - दिनेश "दर्द"
December 6, 2011 at 7:10 AM �
बहुत सुंदर ..प्यारी कविता
December 7, 2011 at 3:30 AM �
♥
आदरणीया किरण श्रीवास्तव मीतू जी
सस्नेहाभिवादन !
मेरा उस पौधे से प्यार तो अथाह था किन्तु संवेदना अंशमात्र न थी !!
बहुत ही भावप्रवण रचना है …
संवेदना बिना प्यार निरर्थक है …
सुंदर रचना के लिए साधुवाद !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
December 14, 2011 at 11:40 PM �
all the best kiran ji.....
December 14, 2011 at 11:41 PM �
all the best kiran ji..............
January 16, 2012 at 4:06 PM �
bad aks
bura mai ho meri parchai nhi kubsurat tum hari kvita hai gustaq adaye hai kamsil ko samjhaye kai se
aks tu kisi ki tarif bhi khul kar nhi kar sakta logo ko bura lag jye gaa
bura lagne se aks ko koi taklif nhi lekin burai hogi naam tumhara leke
hame to kahte he hai lo bad aks?>
March 21, 2012 at 1:53 PM �
bahut pyari rachna
May 7, 2012 at 2:11 PM �
Bahot hi sundar aur atulniy hai apki kavitaye
July 8, 2012 at 5:25 PM �
all your compositions are very beautiful but some are too much dramaticised i wud say... good blog anyway!!