पागल हूँ मैं भी , कैसे स्वार्थी हो गई मैं अपने लिए , जबकि तुम भी जीते हो हर पल , मेरे लिए .
पागल हूँ मैं भी , जो न समझ पाई , सफ़र में हर वक्त तुम्हारा साथ , तुम्हारे होने का एहसास , फिर भी क्यों समझ बैठी , अकेली हूँ मैं ?
पागल हूँ मैं भी , मेरा वजूद तुम्हारे वजह से है , यह समझने में भी , इतने वक्त लगा दिए .
तुमने सच ही कहा , मेरे लिए . सच में ,पागल ही हूँ मैं !!
________मीतू !!
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February 16, 2011 at 3:11 AM �
excellent display of feelings
February 18, 2011 at 11:15 AM �
sunder............ i like
March 10, 2011 at 5:37 PM �
kuch kahaa nahi jaataa..
superb
March 14, 2011 at 10:42 PM �
Lazabab panktiya meetu ji