पता नहीं कैसे और क्यों हुआ पर जो हुआ लगता है अच्छा हुआ मुझे तो तुम से प्यार हुआ बस तुम्ही से इकरार हुआ यह दिल अब तो तुम्हारे लिए तरसता है तुम्हारी मुस्कुराहट पर जान छिड़कता है तुम्हारी हर सांस पे जीती हूँ तुम्हारी हर सांस पर ही मरती हूँ लाखों-लाखों बार कहती हूँ हाँ, मैं तुमसे प्यार करती हूँ रात और दिन तुम्हारा ही इंतज़ार करती हूँ दिल की अरमानों का इजहार करती हूँ अब कोई दिखता नहीं तुमसे अच्छा कोई हो भी तो मैं इनकार करती हूँ हर पल नज़र में तुम ही दिखते हो तुम्ही हो जिससे मैं प्यार करती हूँ तुम्हारी खुशबू बसी है मेरे रूह तक में तुम हो बस मेरे ,मैं तेरी स्वीकार करती हूँ दूर क्यों हो अब आ भी जाओ ना मैं तुम्हे बहुत ही याद करती हूँ तुम ही बसे हो मेरे रोम रोम में यही तो तुझसे फ़रियाद करती हूँ. मैं तुम्हे इतना प्यार करती हूँ हाँ ,मैं तुमसे प्यार करती हूँ.... ____________ मीतू !
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