मैं हूँ एक इंसान ! मेरा व्यक्तित्व कितना महान !!
मैं नित्यानंद भी हूँ, जो अपनी सेविकावों के साथ अश्लील कार्य करता हूँ !!
मैं इच्छाधारी बाबा भी हूँ जो , स्कूली लड़कियों से लेकर एयर -होस्टेस सब को अपने रैकेट में शामिल कर लेता हूँ !
मैं वो साइबर कैफे भी हूँ , जहा स्कूली लड़कियां स्कूल जाने के बहाने आकर अपनी ड्रेस बदल कर , अपने बॉय फ्रेंड्स के साथ सारा दिन घूमने के बाद, फिर से आकर और ड्रेस पहेन कर अपने घर वापस जाती हैं !!
मैं वो शमसान भी हूँ जो गवाह हैं , लावारिश लाशो के साथ हुए बलात्कार का !!
मैं वो मंदिर भी हूँ , जहा आगे निकलने की होड़ में , लोग अपनी मर्यादा लाँघ जाते हैं !!
मैं वो जेल भी हूँ , जहाँ यैयाशी के सारे सामान आसानी से उपलब्ध हैं !!
मैं वो T२० की हरी हुई टीम भी हूँ . जिसे हारने के बाद भी 3 करोड़ मिलते हैं . पता नहीं ये हारने का इनाम है या उस देश में जाकर मौज मस्ती करने का !!
मैं वो जनता भी हूँ , जो ये जानती है की किये गए वादे झूठे हैं , पर फिर भी उसी पार्टी को वोट करती हूँ !!
मैं वो वाहन चालक भी हूँ , जो बिना हेलमेट के पकडे जाने पैर . चालान कटवाने से ज्यदा 50/- देने मैं विस्वास रखता हूँ !!
मैं वो भाई वो पिता वो माँ भी हूँ , जो सिर्फ इसलिए अपनी बहिन /बेटी और दामाद को मार देते हैं की विवाह विजातीय था !!
मैं वो व्यवस्था भी हूँ , जहा अच्छे काम करने वालो का तुरुन्त ट्रान्सफर कर देती हूँ !!
मैं वो लो - वेस्ट जींस भी हूँ , जो बाइक पर बैठते ही अपने अंत: वस्त्रो का प्रदर्शन करती हूँ !!
मैं वो नग्नता भी हूँ , जो अब सिनेमा पटल से उतर कर सडको पर चली आई हूँ
मैं वो मूर्ति भी हूँ , जिसे एक नेता ने अपने जीवत रहते हुते चौराहे पर लगवा दिया !!
मैं वो औरत भी हूँ जिसे उसके प्रेमी ने विवाह के बहाने , कोठे पर ला कर बेच दिया !!
मैं वो नव -विवाहिता भी हूँ , जिसे उसके ससुराल वालो ने कम दहेज़ लेन के कारन जिन्दा जला दिया !!
मैं वो पुत्र भी हूँ , जो जायदाद के लिए अपने पिता का खून कर देता हूँ !!
मैं वो जल भी हूँ , जिसके लिए लोग खून तक कर रहे हैं !!
यह तो एक झलक भर है मेरे व्यक्तित्व का .. फिर भी मैं हूँ एक इंसान , मेरा व्यक्तित्व कितना महान !!
दिनांक २९-६-२०१० .Copyright ©
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January 7, 2011 at 5:37 PM �
maarmik...gahare dard bayaan karatii rachna.
January 8, 2011 at 11:56 AM �
मेरे शब्दों में इतनी जान नही कि आपके लेखनी की तारीफ़ कर सकें| पहली बार आपके ब्लॉग पर आया| आपके अल्फाजों में वो दर्द दिखा कि आपकी 'संवेदना' का कायल हो गया|
वैसे अपनी कोई हस्ती नही,
एक छोटी सी बस्ती है...शब्दों को जोड़ने की कोशिश करता हूँ कहानी बन जाती है|बेहतरीन रचना|
गिरिजेश कुमार
पटना, बिहार
January 9, 2011 at 1:49 AM �
kya bat hai kiran ji mai to aapka pakka wala fan ho gya
January 9, 2011 at 8:38 AM �
बहुत खूब!
January 9, 2011 at 1:54 PM �
Great one.. keep it up......!!!!
January 10, 2011 at 6:19 PM �
किरण सबसे पहले इतनी शानदार और जीवंत कविता के लिए आपको बधाई........
पिछले 4 सालो मे बहुत से कवियों और कवियत्रियो से मिला लेकिन अधिकांशतः से मिलने के बाद केवल एक ही बात ज्ञात हुए सब मंच की भूख लिए है कविता कम सजी धजी हुए न्यूज़ ही ज्ञात होती थी
लेकिन आप की इस कविता को पढने के बाद मेरी काव्य प्यास को थोड़ी सी शीतलता मिली है.आपकी इस कविता से बहुत कुछ सिखने को मिला है ........
मै आप का नहीं आपकी कविता का कायल हो गया हू....
बहुत बहुत खूब.......
बेहतरीन रचना|
keep it up
January 10, 2011 at 6:20 PM �
किरण सबसे पहले इतनी शानदार और जीवंत कविता के लिए आपको बधाई........
पिछले 4 सालो मे बहुत से कवियों और कवियत्रियो से मिला लेकिन अधिकांशतः से मिलने के बाद केवल एक ही बात ज्ञात हुए सब मंच की भूख लिए है कविता कम सजी धजी हुए न्यूज़ ही ज्ञात होती थी
लेकिन आप की इस कविता को पढने के बाद मेरी काव्य प्यास को थोड़ी सी शीतलता मिली है.आपकी इस कविता से बहुत कुछ सिखने को मिला है ........
मै आप का नहीं आपकी कविता का कायल हो गया हू....
बहुत बहुत खूब.......
बेहतरीन रचना|
keep it up
January 12, 2011 at 10:42 AM �
जीवंत कविता के लिए आपको बधाई........!
बेहतरीन रचना.....|
January 12, 2011 at 10:45 AM �
जीवंत कविता के लिए आपको बधाई........!
बेहतरीन रचना.....|
January 12, 2011 at 6:41 PM �
hi meetu nice to see ur poem i will also live someone shortly jst wait
January 15, 2011 at 3:03 PM �
mai apki kavitao ka kayal ho gaya hu
apki kavita bahut hi acchi hai
January 16, 2011 at 8:32 PM �
2 gud Meetu ji.......
January 17, 2011 at 12:10 AM �
Kiranji! what a wonderful poem.. So inspirational, it takes me to the peaks... Thanks and keep them flowing.. Perhaps you would be pleased to visit the following links and view some of mine, and leave your comments:
http://www.facebook.com/photo.php?fbid=142404099149184&set=p.142404099149184¬if_t=photo_comment_tagged#!/note.php?note_id=131665226852919
http://www.facebook.com/profile.php?id=100000943365238&sk=notes&s=60#!/note.php?note_id=147028225316619
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January 17, 2011 at 1:32 AM �
aam bhasha aam mudda aam shabd par asar bahut hi khas.
January 20, 2011 at 2:06 PM �
So nice Meetu G,
Kafi hi kuch kaha hai aapne apni is ek poem me, aur bahut hi khoobsurati ke saath,
baki sab ki hi tarah mai bhi aapki FAN ho gai.
January 29, 2011 at 9:00 PM �
me ek nakaratmak soch ka vyakti bhi hu jo sirf buraiya hi dhundhta he aap ne kon si chot khai he jo apne me sirf burai hi nazar aai he me wo ful bhi hu jo baago me khusbu bikherta hu kyo chupai he
January 30, 2011 at 7:26 PM �
good
March 2, 2011 at 2:44 PM �
इतने से शब्दो ने सब कह दिया ...............बेहतरीन !!!
July 24, 2011 at 8:02 PM �
bahut gahare tak jati hai aapki lekhani..........
August 10, 2011 at 9:20 PM �
lagta samvedna bahut gahri hai
October 20, 2011 at 8:43 PM �
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान, कितना बदल गया इंसान!
October 21, 2011 at 12:16 AM �
kya baat he bahut khoob.
October 21, 2011 at 11:29 PM �
logo ki peeda dur karne ke liye aap koi NGO banakar duniya ki sewa kare...apko dher sari khusia milengi !
October 22, 2011 at 3:33 PM �
" मैं " ही दंभ की जननी " मैं " ही कलह का आधार
" मैं " ही विश्वासों का भक्षक " मैं " ही रिश्तों पर प्रहार
" मैं " से बाहर निकलो फिर देखो कितना सुंदर है संसार
दूसरों को समझाने से बेहतर " मैं " पर कर लो किरन विचार
हमारे जीवन का आधार है ........सर्वे भवन्तु सुखिनः. सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥ और इस नकारात्मक सोच से मीतू जी अपने आप को मुक्त कीजिये क्योंकि हम यह भी कहते हैं ................. जाकी रही भावना जैसी, हरि मूरत देखी तिन तैसी।
October 22, 2011 at 5:25 PM �
bahut dino ba dkoi kavita sans leti dikhi di ....warna kitabo me dabkarwo aksar dum tod deti hai
October 23, 2011 at 9:03 PM �
बहुत ही सुन्दर..किरण जी..अतिशय समीचीन एवं यथार्थपरक रचना ...आज के इंसान का बिलकुल सही चित्रण आपने अपनी इस कविता में किया है.आज का इंसान सच में बस अपनी ख़ुशी सोचता है...दूसरों की परवाह बिलकुल नहीं करता है...कभी-कभी तो वह बिलकुल हैवान बन जाता है..भौतिकता के पीछे दौड़ते-दौड़ते इंसानियत भी भूल गया है...हर जगह मर्यादा की सीमा को लाँघ जाता है...आज के इन्सान के असली चेहरे को सामने लाकर आपने रख दिया है...आपके कोमल निर्मल ह्रदय एवं आपकी संवेदनशीलता की गहरी मिसाल है आपकी यह कविता...जीवन के हर पहलु पर गयी है आपकी पैनी दृष्टि और हो गयी है एक लाजवाब रचना की सृष्टि ..कहतें हैं साहित्य समाज का दर्पण होता है ,यह बात आपकी इस अप्रतिम रचना को देखकर बिलकुल सही लग रही है...आपकी लेखनी का जवाब नहीं...माँ सरस्वती की अद्भुद कृपा आप पर सदा बनी रहे...
October 29, 2011 at 10:10 AM �
Bahut umda..........!!
October 31, 2011 at 8:55 AM �
बडा दुस्साहस किया आपने जो दूसरे न कर सके ! प्रेम विरह का शृंगारिक काव्य तो चलन मे बहुत है परंतु इसके पीछे का निष्ठुर निर्मन सत्य सदैव परदे के पीछे ही रहता है । आपकी कविताएँ आशा जगाती है ।
साधुवाद !
December 3, 2011 at 11:13 PM �
Kiran ji aapne samaaj dhaki huee gandagi nangi kar di ...bade hi sahajtaa se ,seedhe saade shabdon main Badhaaee... aashaa hai apne is prayaas ko ZAAREE rakhengee....Dhanyavaad
Janardan Prasad