क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर कविता का रूप ले लेती है!!
---किरण श्रीवास्तव "मीतू" !!
wakei me aapki kavita bahut sanddar hai aapko kavita likhane ka pura hak hai , aap yuhi zindagi me tarkki karte rahe , or a6i kavita likhe , aapko meri taraf se ther saari shubhkamnae , aal tha best
TAARE AAKASH ME NAHI HAMAARE GHAR ME HE CHAMKTE HAI , SAWAL YAHA HAI KI KYA DOCTAR,ENGINEER,YA I,A,S BANNAA HI SAFLTA KA PRAYAY HAI ? LIKHAK ,ANIMETOR ,ABHINETA YA KHILADI JESHI KHUBIYA BHI SHOHRAT DILATI HAI ! JEEVAN TABHEE SAFAL HAI! JISHE KARNE ME ANAND AAEY,VAHI KIYA JAEY !JO BHI AAJ SHIKHAR PAR HAI,VAH AAPNE "SAPNE" KO SAKAR KARNE KE BALBUTE HI VAHA TAK PAHUCHE HAI,FIR CHAHE VAH AMITABH BACHHANHO,FOODWALL KE NAME SE PRASIDH PEALE HO, YA SACHIN TENDULKAR HO, YA USHEN BOLTEHO,YA FIR DHEERUBHAAE AMBANEE HO! JINKE FAN KO AAJ JAMANA PUJTA HAI,KABHI VAHEE UNKA TIRSHKRAT-SA SAPNA HUAA KARTA THA! HAR BACHHAA OR USKA SAPNA KHAAS HAI! TO TAARE AAKASH ME NAHI HAMAARE GHAAR ME HI CHAMKTE HAI! JARURAT HAI TO, BAS UNKI ROSHANI KO OAHCHANANE KI ! SANDEEP SIR !!!!
एक मुसलमानी कहावत है कि बा-अदब बा-नसीब बे-अदब बे-नसीब आज पूरा मुल्क डा० कलाम साहब को इसीलिए सर आखों पर बैठाता रहा क्योंकि अपने ओहदे को उन्होंने कभी अपना अहं नही बनाया आज देश को एक बार फिर राष्ट्रपति के रूप में उनकी जरूरत है क्या हम सब फेसबुकिये इस आवाज को एक साथ उठाकर डा०कलाम को दोबारा राष्ट्रपति नही बनवा सकते ? अगर हां तो देर किस बात की शुरू हो जाओ इस आवाज को उठाने के लिये और हिला दो हिन्दुस्तान चाहे कापी-पेस्ट करो चाहे शेयर करो भर दो फेसबुक के वाल को डा०कलाम के समर्थन में हमें एक बार फिर देश के इस सच्चे सपूत को राष्ट्रपति के रूप में देखना है जय माँ भारती SANDEEP SIR
रुकिये चेहरा मत घुमाइये .............. हेदराबाद की उस्मानिया यूनिवरसिटि मे अभी 2-3 दिन पहले ..."गो मांस महोत्सव "मनाया गया ....क्या भारत मे हिन्दुओ की आस्था का कोई मोल नहीं ..???..मीडिया ने इस खबर को नहीं ....दिखया .....???.. पर कुछ रास्त्र्वदी लोगो ने ....इस आयोजन कर्ताओ की धुनाई की ...जो ....इस खबर के बाद एक तरह से ....पीड़ा की बरसात के बाद ......सुकून की चंद बूंदो की तरह लगी .......!!!.....हे गो माता हमे माफ करना ...की हमने कलयुगी भारत मे जन्म लिया ......लेकिन ......किसी रास्ते से .....हम आपका क्स्ट एक पल भी दूर कर सके ......तो हम अपने आपके चरणो मे समर्पित कर देंगे .......... जय हिन्द .....जय गो माता — must share if u a real hindu,love for cows
MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA HAI,MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,SURAJ NA BAN PAAYE TO,BAN KE DEEPAK JALTA CHAL,FHOOL MILEY YA AANGARE SACH KI RAHO PAR CHALTA CHAL,PYAR DILO KO DETA HAI,ASHKO KO DAMAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA,MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,CHALTEE HAI LAHARA KE,PAVAN KI, SHAAS SABHEE KI CHALTI RAHE,LOGO NE TYAAG DIEY JEEVAN,KI PREEET DILO ME PALTEE RAHE,KIPREEET DILO ME PALTEE RAHE,DIL WO DIL HAI, JO ORO KO DHADKAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA,MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA , SANDEEP SIR
WO SHAM KUCH AJEEB THI, YE SHAM KUCH AJEEB HAI,WO KAL BHI PAAS-PAAS THI, VO AAJ BHI KAREEB HAI,WO SHAM KUCH AJEEB THI,JHUKI NIGAAHO ME KAHI MERA KHAYAL THA,DABEE-DABEE HANSEE ME HASEEN SA EK GULAB THA,ME SOCHTA THA MERA NAAM GUN-GUNA RAHI HE VO,NA JAANE KYO LAGA KI MASHKURA RAHI HAI VO,MERA KHAYAL HAI AB BHI, JHUKI HUE NIGAHO ME,KHEELI HUE HASEE BHI HAI,DABEE HUE CHAHA ME,WO SHAM KUCH AJEEB THI, YE SHAM KUCH AJEEB HAI,ME JANTA HU MERA NAAM GUN-GUNA RAHI HAI VO, YAHI KHAYAL HAI KI MERE SAATH AA RAHI HAI VO,WO SHAM KUCH AJEEB THI, YE SHAM KUCH AJEEB HAI,WO KAL BHI PAAS-PAAS THI, VO AAJ BHI KAREEB HAI, SANDEEP SIR
कुछ कर गुजरने की आग जीने नही देती,
कुछ न कर पाने का एहसास सोने नही देता!
यकीन की चिंगारी अश्क पीने नहीं देती,
अटल इरादा शिकस्त पे भी रोने नही देता !! ..... मीतू !!
क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर कविता का रूप ले लेती है!!
---किरण श्रीवास्तव "मीतू" !!
अपने दायरे !!
कुछ वीरानियो के सिलसिले आये इस कदर की जो मेरा अज़ीज़ था ..... आज वही मुझसे दूर है ..... तल्ख़ हुए रिश्तो में ओढ़ ली है अब मैंने तन्हाइयां !! ......... किरण "मीतू" !!
स्पंदन !!
निष्ठुर हूँ , निश्चल हूँ मैं पर मृत नही हूँ ... प्राण हैं मुझमे ... अभी उठना है दौड़ना हैं मुझे ... अपाहिज आत्मा के सहारे ... जीना है एक जीवन ... जिसमे मरण हैं एक बार ... सिर्फ एक बार !! ..... किरण " मीतू" !!
सतरंगी दुनिया !!
आस-पास , हास-परिहास , मैं रही फिर भी उदास ...आत्मा पर पड़ा उधार , उतारने का हुआ प्रयास ... खुश करने के और रहने के असफल रहे है सब प्रयास !! ..... किरण "मीतू" !!
उलझन !!
अकेले है इस जहां में , कहाँ जाए किधर जाए ! नही कोई जगह ऐसी की दिल के ज़ख्म भर जाए !! ... किरण "मीतू" !
तलाश स्वयं की !!
कुछ क्षण अंतर्मन में तूफ़ान उत्पन्न कर देते है और शब्दों में आकार पाने पर ही शांत होते है ! ..... मीतू !!
ज़ज़्बात दिल के !
मंजिल की तलाश में भागती इस महानगर के अनजानी राहो में मुझे मेरी कविता थाम लेती है , मुझे कुछ पल ठहर जी लेने का एहसास देती है ! मेरी कविता का जन्म ह्रदय की घनीभूत पीड़ा के क्षणों में ही होता है !! ..... किरण "मीतू" !!
मेरे एहसास !!
मेरे भीतर हो रहा है अंकुरण , उबल रहा है कुछ जो , निकल आना चाहता है बाहर , फोड़कर धरती का सीना , तैयार रहो तुम सब ..... मेरा विस्फोट कभी भी , तहस - नहस कर सकता है , तुम्हारे दमन के - नापाक इरादों को ---- किरण "मीतू" !!
आर्तनाद !
कभी-कभी जी करता है की भाग जाऊं मैं , इस खुबसूरत ,रंगीन , चंचल शहर से !! दो उदास आँखे .....निहारती रहती है बंद कमरे की उदास छत को ! . ..लेकिन भागुंगी भी कहाँ ? कौन है भला , जो इस सुन्दर सी पृथ्वी पर करता होगा मेरी प्रतीक्षा ? ..... किरण "मीतू" !!
मेरा बचपन - दुनिया परियो की !
प्रकृति की गोद में बिताये बचपन की मधुर स्मृतियाँ बार-बार मन को उसी ओर ले जाती है ! मानव जीवन में होने वाली हर बात मुझे प्रकृति से जुडी नज़र आती है तथा मैं मानव जीवन तथा प्रकृति में समीकरण बनाने का प्रयास करती हूँ !....किरण "मीतू
कविता-मेरी संवेदना !!
वेदना की माटी से , पीड़ा के पानी से , संवेदनाओ की हवा से , आँसूवो के झरनों से ! कोमल मन को जब लगती है चोट , निकलता है कोई गीत , और बनती है कोई कविता !! ..... मीतू !!
May 11, 2012 at 8:37 PM �
नपे तुले शब्दों में अनन्त अभिव्यक्ति
May 11, 2012 at 8:38 PM �
meetu ji aapki kavitaye bhat a6i hai mai isko faebook par dalna chahta hu aapko koi aapatti to nahi hao
May 11, 2012 at 8:53 PM �
सौरभ जी ,,,
कोई आपत्ति नही है मुझे ... लेकिन मेरे नाम के साथ डालियेगा :)
May 11, 2012 at 9:26 PM �
दिल कतरा-कतरा रोता रहा ..
ज़ख्म-ज़ख्म रिसते रहे ..
रात-रात सुलगती रही ..
सिसकती जिंदगी बीत गई ...
कुछ याद बाकी रही ..
कुछ बात बाकी रही ...!
किरण !!
May 11, 2012 at 9:26 PM �
.
वो झूठ-मुठ के तेरे सवाल ..
कुछ रूठे-रूठे से मेरे जवाब ,
सच न कह पाने की कसक रही ..
रोशनाई में भींगी हुई रौशनी रही !
बेजुबानी खलती रह गई .... आँखों में नमी -सी रह गई !!
_______ किरण !
May 12, 2012 at 7:36 AM �
मीतू जी आप अच्छा लिखती हैं |
May 12, 2012 at 12:46 PM �
meetu ji aapki kavitaye bhat a6i hai
wakei me aapki kavita bahut sanddar hai aapko kavita likhane ka pura hak hai , aap yuhi zindagi me tarkki karte rahe , or a6i kavita likhe , aapko meri taraf se ther saari shubhkamnae , aal tha best
May 12, 2012 at 12:50 PM �
Intjar aur sahi
Meri aankho ke sabhi khawab pyase he abhi
Pyar ki koi ghata ghir ki aaegi kabhi
Intjar aur sahi,
Intjar aur sahi
Paas rahkar bhi ko dil se kyu dur rahe
me bhi majhbur sa hu vo bhi majhbur lage
Apna gam kah na saku meri ulchan he yahi
Intjar aur sahi,
Intjar aur sahi
Ye udasi ye tapn band kamre ki ghutan
dil me kya hone laga dard he ya ki chubhan
aaj bhi mucha se kahe aag sine me dabi
Intjar aur sahi,
Intjar aur sahi SANDEEP SIR
May 12, 2012 at 12:53 PM �
aapki har Rachna dil ko chu jaati hai
Mai aapki kuch Rachnaye FROPPER par apne mitro me share karne ka ichchuk hu agar aap ijajat de....
May 12, 2012 at 12:56 PM �
JO KLAA AATMAA KO AATMDARSHAN
KI SHIKSHA NAHI DETI . VAH
VAH KLAA NAHI !!!!!
SANDEEP SIR ,,,,
May 12, 2012 at 1:24 PM �
dil se likti hi.
dil ko touch kar jati hi aap ki kavitaye .kisi ki yad dila jati hi aap ki kavitaye.
May 12, 2012 at 1:31 PM �
TAARE AAKASH ME NAHI HAMAARE GHAR ME HE CHAMKTE HAI ,
SAWAL YAHA HAI KI KYA DOCTAR,ENGINEER,YA I,A,S BANNAA HI SAFLTA KA PRAYAY HAI ?
LIKHAK ,ANIMETOR ,ABHINETA YA KHILADI JESHI KHUBIYA BHI SHOHRAT DILATI HAI ! JEEVAN TABHEE SAFAL HAI! JISHE KARNE ME ANAND AAEY,VAHI KIYA JAEY !JO BHI AAJ SHIKHAR PAR HAI,VAH AAPNE "SAPNE" KO SAKAR KARNE KE BALBUTE HI VAHA TAK PAHUCHE HAI,FIR CHAHE VAH AMITABH BACHHANHO,FOODWALL KE NAME SE PRASIDH PEALE HO, YA SACHIN TENDULKAR HO, YA USHEN BOLTEHO,YA FIR DHEERUBHAAE AMBANEE HO! JINKE FAN KO AAJ JAMANA PUJTA HAI,KABHI VAHEE UNKA TIRSHKRAT-SA SAPNA HUAA KARTA THA! HAR BACHHAA OR USKA SAPNA KHAAS HAI! TO TAARE AAKASH ME NAHI HAMAARE GHAAR ME HI CHAMKTE HAI! JARURAT HAI TO, BAS UNKI ROSHANI KO OAHCHANANE KI !
SANDEEP SIR !!!!
May 12, 2012 at 1:42 PM �
जो ग़म पूछें उन्हीं से हाल, वो कुछ यूं बताए हैं.
जहां तुम थोक में मिलते, वहीं से ले के आए है.
बलाएं भी बिरादर इस तरह, संग राह है प्यारे,
पनाहों में पता चलता, कहर पहले से आए हैं.
उन्हें रातों के बारे में, खुदा मालूम कुछ ना हो,
जिन्हें लगती मुसीबत है, वो कैसे दिन बिताए हैं.
अभी दिखता नहीं नासूर, काँटा है हिजाबों में,
गए वो अक्स अक्सर, आईनों में चिरमिराए हैं.
इन्हीं हालात से, नाज़ुक बने हैं हाल इस माफिक,
कहीं छोटे से छोटे शब्द, बढ़ कर दिल चुभाए हैं
बुरा ना मानना, उनको लगेगा वक़्त चलने में,
जो पिछले पाँव छालों के, चकत्ते काट लाए हैं.
वो वैसे हों न हों, जीवन उन्हें गुलज़ार रख लेगा,
यही दुनिया है, ज़िम्मेवारियां बरगद के साए हैं.
कभी लेकिन अचानक आप बहता है, हुआ यूं क्यूं,
पलक भर पोंछ ले वो फिर, पलट कर मुस्कुराए हैं
अकेले गर जो होते घर, तो ढह जाते बहुत पहले,
ये नेमत है सहन की नींव को, साथी बचाए हैं.
SANDEEP SIR
May 12, 2012 at 1:42 PM �
एक मुसलमानी कहावत है कि
बा-अदब बा-नसीब
बे-अदब बे-नसीब
आज पूरा मुल्क डा० कलाम साहब को इसीलिए सर आखों पर बैठाता रहा क्योंकि अपने ओहदे को उन्होंने कभी अपना अहं नही बनाया
आज देश को एक बार फिर राष्ट्रपति के रूप में उनकी जरूरत है क्या हम सब फेसबुकिये इस आवाज को एक साथ उठाकर डा०कलाम को दोबारा राष्ट्रपति नही बनवा सकते ?
अगर हां तो देर किस बात की
शुरू हो जाओ इस आवाज को उठाने के लिये और हिला दो हिन्दुस्तान
चाहे कापी-पेस्ट करो चाहे शेयर करो
भर दो फेसबुक के वाल को डा०कलाम के समर्थन में
हमें एक बार फिर देश के इस सच्चे सपूत को राष्ट्रपति के रूप में देखना है
जय माँ भारती SANDEEP SIR
May 12, 2012 at 1:44 PM �
रुकिये चेहरा मत घुमाइये .............. हेदराबाद की उस्मानिया यूनिवरसिटि मे अभी 2-3 दिन पहले ..."गो मांस महोत्सव "मनाया गया ....क्या भारत मे हिन्दुओ की आस्था का कोई मोल नहीं ..???..मीडिया ने इस खबर को नहीं ....दिखया .....???.. पर कुछ रास्त्र्वदी लोगो ने ....इस आयोजन कर्ताओ की धुनाई की ...जो ....इस खबर के बाद एक तरह से ....पीड़ा की बरसात के बाद ......सुकून की चंद बूंदो की तरह लगी .......!!!.....हे गो माता हमे माफ करना ...की हमने कलयुगी भारत मे जन्म लिया ......लेकिन ......किसी रास्ते से .....हम आपका क्स्ट एक पल भी दूर कर सके ......तो हम अपने आपके चरणो मे समर्पित कर देंगे .......... जय हिन्द .....जय गो माता
— must share if u a real hindu,love for cows
May 12, 2012 at 2:25 PM �
MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA HAI,MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,SURAJ NA BAN PAAYE TO,BAN KE DEEPAK JALTA CHAL,FHOOL MILEY YA AANGARE SACH KI RAHO PAR CHALTA CHAL,PYAR DILO KO DETA HAI,ASHKO KO DAMAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA,MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,CHALTEE HAI LAHARA KE,PAVAN KI, SHAAS SABHEE KI CHALTI RAHE,LOGO NE TYAAG DIEY JEEVAN,KI PREEET DILO ME PALTEE RAHE,KIPREEET DILO ME PALTEE RAHE,DIL WO DIL HAI, JO ORO KO DHADKAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA,MADHUBAN KHUSHBU DETA HAI,SAGAR SAVAN DETA HAI,JEENA USKA GAHANA HAI,JO ORO KO JEEVAN DETA ,
SANDEEP SIR
May 12, 2012 at 2:43 PM �
WO SHAM KUCH AJEEB THI, YE SHAM KUCH AJEEB HAI,WO KAL BHI PAAS-PAAS THI, VO AAJ BHI KAREEB HAI,WO SHAM KUCH AJEEB THI,JHUKI NIGAAHO ME KAHI MERA KHAYAL THA,DABEE-DABEE HANSEE ME HASEEN SA EK GULAB THA,ME SOCHTA THA MERA NAAM GUN-GUNA RAHI HE VO,NA JAANE KYO LAGA KI MASHKURA RAHI HAI VO,MERA KHAYAL HAI AB BHI, JHUKI HUE NIGAHO ME,KHEELI HUE HASEE BHI HAI,DABEE HUE CHAHA ME,WO SHAM KUCH AJEEB THI, YE SHAM KUCH AJEEB HAI,ME JANTA HU MERA NAAM GUN-GUNA RAHI HAI VO, YAHI KHAYAL HAI KI MERE SAATH AA RAHI HAI VO,WO SHAM KUCH AJEEB THI, YE SHAM KUCH AJEEB HAI,WO KAL BHI PAAS-PAAS THI, VO AAJ BHI KAREEB HAI,
SANDEEP SIR
May 12, 2012 at 2:47 PM �
श्रीकेशवाय नमः । नारायणाय नमः । माधवाय नमः ।
गोविंदाय नमः । विष्णवे नमः । मधुसूदनाय नमः ।
त्रिविक्रमाय नमः । वामनाय नमः । श्रीधराय नमः ।
हृषीकेशाय नमः । पद्मनाभाय नमः । दामोदराय नमः ।
संकर्षणाय नमः । वासुदेवाय नमः । प्रद्युम्नाय नमः ।
अनिरुद्धाय नमः । पुरुषोत्तमाय नमः । अधोक्षजाय नमः ।
नारसिंहाय नमः । अच्युताय नमः । जनार्दनाय नमः ।
उपेन्द्राय नमः । हरये नमः । श्रीकृष्णाय नमः ।
May 12, 2012 at 2:49 PM �
"HAPPY MOTHER'S DAY"
Santan ho to ish kalyug ke shrawan kumar jaisa jo apni mata ko barso se kawar me bithakar tirth yatra me hai..
Happy mother's day my friends..
Mata MORIYEM ko salam
Mata SITA ko pranam
SANDEEP SIR
May 13, 2012 at 10:44 PM �
THANK YOU
June 8, 2012 at 4:07 PM �
kiran ji esme puch6ane oa izazat lene ki kya jarurat he