How mellifluous was the word you just said
It reached the secret chamber of my heart ..
Like sweetness of honey poured into the ear
Such was the charm kissed my soul O dear ..
Feel and I breathe your eternal love in my veins
Making my soul dance in blissful waves of time..
How pleasing and how sweet is unique feeling
All I feel it sparkles waves of splendid rejoicing ..
I am drenched in the sweetness of hilarity
You overwhelmed me with word of serenity ..
My mind is floating to understand all you said
How mellifluous was the word you just said....♥

____ kiran srivastava ... Copyright © ... 19 pm ....24:5:2012
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हिंदी में अनुवाद --->

कैसा मधुर कैसा मदिर है ये आपका सन्देश
छू कर अंतरतम को कर दिया मुझे मदहोश

कानों में लगे शहद की मिठास घोली है
मोहकता ऐसी आत्मा को इसने चूमी है

दौड़ने लगी हो जैसे रगों में तेरे ही शाश्वत प्रेम की सांस
समय के आह्लादकारी लहरों पर नाचे आत्मा की आस

कैसा आनंददायी है यह अप्रतिम अहसास
फूट निकली हैं हर्ष की चिंगारियां पासपास

उल्लास की मधुरिमा में सराबोर हो चुकी हूँ
असीम शांतिमयी सन्देश में डूब ही चुकी हूँ

मन-पंछी ने उड़ान ली है समझकर सन्देश
कैसा मधुर कैसा मदिर है ये आपका सन्देश ♥

7 Responses to "Sweet Feeling ... !!"

  1. a k mishra Says:

    Wow...wonderful...really a marvellous composition..very lovely ..very sweet reaching and touching everyone's heart..I think..Goddess of learning sits on your tongue when you write a poem..so much pleasing that I myself feel drenched in the sweet flow of your feelings... really unique and unparalleled ..with all my good wishes .feel always this happiness !!!

  2. a k mishra Says:

    हिंदी रूपांतरण भी उतनी ही प्यारी...बस निःशब्द हूँ इतनी सुन्दर रचना देखकर..ह्रदय को आनन्दसागर में डूबा रही है..सच में माता सरस्वती की असीम कृपा है आप पर ..ऐसा लगता है स्वयं वाग्देवी ही आपकी जिह्वा पर आ बसी हों..ह्रदय को अतिशय मधुर अहसास से सराबोर करती आपकी अप्रतिम रचना..मेरी सारी शुभकामनायें !!!

  3. Madhuresh Says:

    वाह! दोनों ही भाषाओँ में सुन्दर अभिव्यक्ति!!

    सादर,
    मधुरेश

  4. Vibhor Saxena Says:

    Very Nice, full control on language & its meaning. Keep it on. Best of luck.

  5. Vibhor Saxena Says:

    Very Nice. Full Contril on Langauge. Keep It up. Best Of Luck.

  6. S_A_N_R Says:

    ▬§♥§▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
    Tujh ko khabar nahi magar ek sadaa sun le..
    Barbaad kr diya h mujhe tere pyaar ne..♥ ♥

  7. bishnuhari hopoudel Says:


    स्वैर कल्पना मे डूबी रागी मन की कोमल अनुभूति।

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  • संवेदना

    क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर कविता का रूप ले लेती है!! ---किरण श्रीवास्तव "मीतू" !!

    अपने दायरे !!

    अपने दायरे !!
    कुछ वीरानियो के सिलसिले आये इस कदर की जो मेरा अज़ीज़ था ..... आज वही मुझसे दूर है ..... तल्ख़ हुए रिश्तो में ओढ़ ली है अब मैंने तन्हाइयां !! ......... किरण "मीतू" !!

    स्पंदन !!

    स्पंदन !!
    निष्ठुर हूँ , निश्चल हूँ मैं पर मृत नही हूँ ... प्राण हैं मुझमे ... अभी उठना है दौड़ना हैं मुझे ... अपाहिज आत्मा के सहारे ... जीना है एक जीवन ... जिसमे मरण हैं एक बार ... सिर्फ एक बार !! ..... किरण " मीतू" !!

    सतरंगी दुनिया !!

    सतरंगी दुनिया !!
    आस-पास , हास-परिहास , मैं रही फिर भी उदास ...आत्मा पर पड़ा उधार , उतारने का हुआ प्रयास ... खुश करने के और रहने के असफल रहे है सब प्रयास !! ..... किरण "मीतू" !!

    उलझन !!

    उलझन !!
    अकेले है इस जहां में , कहाँ जाए किधर जाए ! नही कोई जगह ऐसी की दिल के ज़ख्म भर जाए !! ... किरण "मीतू" !

    तलाश स्वयं की !!

    तलाश स्वयं की !!
    कुछ क्षण अंतर्मन में तूफ़ान उत्पन्न कर देते है और शब्दों में आकार पाने पर ही शांत होते है ! ..... मीतू !!

    ज़ज़्बात दिल के !

    ज़ज़्बात दिल के !
    मंजिल की तलाश में भागती इस महानगर के अनजानी राहो में मुझे मेरी कविता थाम लेती है , मुझे कुछ पल ठहर जी लेने का एहसास देती है ! मेरी कविता का जन्म ह्रदय की घनीभूत पीड़ा के क्षणों में ही होता है !! ..... किरण "मीतू" !!

    मेरे एहसास !!

    मेरे एहसास !!
    मेरे भीतर हो रहा है अंकुरण , उबल रहा है कुछ जो , निकल आना चाहता है बाहर , फोड़कर धरती का सीना , तैयार रहो तुम सब ..... मेरा विस्फोट कभी भी , तहस - नहस कर सकता है , तुम्हारे दमन के - नापाक इरादों को ---- किरण "मीतू" !!

    आर्तनाद !

    आर्तनाद !
    कभी-कभी जी करता है की भाग जाऊं मैं , इस खुबसूरत ,रंगीन , चंचल शहर से !! दो उदास आँखे .....निहारती रहती है बंद कमरे की उदास छत को ! . ..लेकिन भागुंगी भी कहाँ ? कौन है भला , जो इस सुन्दर सी पृथ्वी पर करता होगा मेरी प्रतीक्षा ? ..... किरण "मीतू" !!

    मेरा बचपन - दुनिया परियो की !

    मेरा बचपन - दुनिया परियो की !
    प्रकृति की गोद में बिताये बचपन की मधुर स्मृतियाँ बार-बार मन को उसी ओर ले जाती है ! मानव जीवन में होने वाली हर बात मुझे प्रकृति से जुडी नज़र आती है तथा मैं मानव जीवन तथा प्रकृति में समीकरण बनाने का प्रयास करती हूँ !....किरण "मीतू

    कविता-मेरी संवेदना !!

    कविता-मेरी संवेदना !!
    वेदना की माटी से , पीड़ा के पानी से , संवेदनाओ की हवा से , आँसूवो के झरनों से ! कोमल मन को जब लगती है चोट , निकलता है कोई गीत , और बनती है कोई कविता !! ..... मीतू !!
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