आज ,
अचानक मन में विचार आया
कि
कितनी ही बार
मैंने स्वयं को इस जीवन-पथ में असहाय पाया !
जब-जब मैंने उम्मीद का सहारा लिया
हर कडवे अनुभव को हंस कर पिया
नियति से जूझे , संघर्ष किया
सफलता नही मिली !
कितनी ही बार
मन में झंझावात उठे
कितनी ही बार स्वप्न लुटे
पर विषाद बाहर न आया
ठेस लगने पर भी मन रो न पाया !
फिर भी
मैं संघर्षरत हूँ
इसी आशा के साथ
कि शायद
कभी काले बादलो के छट जाने पर
इन्द्रधनुषी रंगों कि बहार आ जाये
शायद ........ !
__ किरण .....Copyright © 9:47 pm .. 29-nov-2012
November 30, 2012 at 9:30 PM �
maa sarswati ka smavesh hain apke lekhen par ..apko va apke mata pita ko sat sat naman
December 5, 2012 at 11:26 PM �
apake lekhan me apake vicharo ke jajabat ahasas krate hain,jaise ye parikalpanye, mere jeevan se judi hui si hi ho, rafta rafta jindagi ke lamhe gujarate jate hain, har pal jindagi antim mukam par pahuchne ki or agrasar ho rahi hai lekin man ka sukun dhundhati hui vicharo ki srankhala ko aaj bhi talas hai, kisi aisi atma ki jo najar pdte hi apani or khich kar atmsat kar ek ho, jaye, par nahi hai aisi ummid ab jindagi se, shayad agale janm tak.
March 14, 2013 at 8:01 PM �
ज़िन्दगी केवल उम्र गुजार देने को नहीं कहते हैं, वैसे भी जो जीवन ज़िन्दगी को नहीं समझ पाया वो जीवन किस काम का, सदियों से गुमराह ही किया गया है भारी भरकम शब्द जाल और मंत्र, तंत्र, यन्त्र के माध्यम से, आम इंसान नहीं भेद सकता इस चक्रव्यूह को ,आरती, मंत्र, पूजा पाठ, असंख्य देवी देवता, ये सब मनुष्य को मानसिक शान्ति प्रदान करते है और सुखी जीवन बिताने का माध्यम मात्र हैं लेकिन सच से परे रहकर हर इंसान खुद को धोखा नहीं दे सकता क्योंकि सच्चाई सर्वथा उन सब बातों से बहुत परे है जो कि विस्मयकारी और आश्चर्यजनक है
October 31, 2014 at 2:37 PM �
ऎसी रचनाएँ रोमांचित कर जाती हैं... एक अलग प्रकार का रोमांच होता है.