मुझे प्यार था एक पुष्प से , इतना प्यार की , मुझे डर होने लगा कि- कहीं प्रजिन के तेज़ झोंको से बिखर न जाए उसकी मासूम पंखुड़ियाँ ... कहीं धुप की प्रखर किरणे झुलसा न दे उसको .. कहीं कोई पडोसी तोड़ न ले जाए उसको चुपके से ....! यह सब ख्याल करके , की अब रहे सुरक्षित वह... मैंने बंद कर दिया उसे एक मजबूत बक्से में ! लेकिन वह तो फिर भी मर गया ... नही बचा सका उसे मेरा प्यार .................!! क्योकि मेरा उस पुष्प से प्यार तो अथाह था किन्तु संवेदना अंशमात्र न थी !! ●●●▬▬▬▬▬▬▬●●●▬▬▬▬▬▬▬●●● किरण श्रीवास्तव मीतू Copyright © 30 nov २०११ रात्रि ९:४०
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