आसमान में बादलो के ढेर की तरह , हर रोज़ जमा होते है मेरी पलकों में तुम्हारे सपने .. तुम से ही गुलजार मेरा प्रांतर , जैसे संतुष्ट मन खिला-खिला सा !!
जाने कितना अर्सा हो गया , मैंने तुम्हे देखा ही नही .. लेकिन तुम्हारी वो मीठी सी आवाज़ .. घोलती रहती है मिश्री मेरे कानो में .. देती है एहसास तुम्हारे आस-पास ही होने का और मैं हो उठती हूँ रोमांचित , तुम्हारी कल्पना मात्र से ही !!
तुम संग मेरे दिन खिलखिलाहट भरे , राते महकी -बहकी सी !
अब फिर कब आओगे , अब आ भी जाओ न ... बर्फीले अंधियारे में , मेरे लिए धुप का उत्ताप लेकर ... आखिर कब आओगे ? तमाम यादे, ख्वाहिशे ,ख्वाब जो की तुम्हे ही लेकर है मेरी पलकों पर जमा होते जा रहे है !
कैसे बयां करू कहा न , आज मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है !!!!!!.
_____________किरण श्रीवास्तव मीतू Copyright © ११ सितम्बर २०११ रात्रि ९:४० ..
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September 14, 2011 at 9:08 AM �
waah...
aa bhi jaao abb.. bahut hii pyaar bhari pukaar ....
January 30, 2012 at 9:07 PM �
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्तिपरक रचना...किरण जी..कोमल किशलयवत शब्दों एवं मधुर सुवासयुक्त पुष्पवत भावों से सुसज्जित है आपकी यह संवेदनात्मक काव्य-वल्लरी ...
अतिशय मनमोहक एवं मुग्धकारी ..बिलकुल ही भावमयी ...शब्दों के लालित्य और भावों के सौन्दर्य से परिपूर्ण आपकी इस रचना-लता की सुरभि से पूरा काव्य-उपवन ही महक उठा है...अत्यंत ही मर्मस्पर्शी भाव और एहसास...
क्या कहूँ..
हवा के हर झोंके में,
हर फूल की खुशबू में,
पत्तों की सरसराहट में,
हर एक एक सांस में
बारिश की टप-टप में,
ओस की हर बूँद में,
उन्ही की ही खुशबू
का आभास होता है...:)
January 30, 2012 at 11:12 PM �
Bahut dino baad kuchh achha padne ko mila, Thanks for reminding me my older days
February 20, 2015 at 2:35 PM �
सपनो की दुनिया सपनो की कहानी तुम उम्मीद हो ये हमने मानी