आजकल मैं बेहद नाराज हूँ , तुमसे नही खुद से ही ! मुझे सम्हालने का दावा करते -करते , देखो तो ,तुमने मुझे किस रास्ते पर ला दिया ! मैं भी तुम्हारे पुरुषार्थ पर यकीन करके , आँख मूंदकर तुम्हारे इशारे को , अपनी मंजिल समझकर बढती गई ,,, नही मालूम था की उस कमजोर शरीर में , एक कमजोर मन का निवास है , जो नही समझ सकता मेरी संवेदनाओं को, असमर्थ है पूरा करने में अपने दावों को !
आज फिर मैं असहाय -आकुल-व्याकुल -सी , बेजान होकर जैसे डूबती जा रही हूँ गहरे जल में ,,, नही समझ पा रही हूँ कि इन परिस्थितियों में मैं क्या करूँ ? अजनबियत से भरे दिन में , चिलचिलाती हुई धुप में , थक गई हूँ मैं खुद को ही ढ़ोते-ढ़ोते ! अब तो जीने कि इच्छा ही शेष नही , लेकिन मुर्दे भी कभी दुबारा मरते है कहीं ???
_____________ मीतू --प्रातः ९:१० |
August 9, 2011 at 10:21 AM �
शायद तुम्हे एहसास भी न हुआ होगा ,
कितने दंश मिले है मुझे तुम्हारी खामोशी से ...
तुम तो हंस के टाल गए ,
लेकिन मैं अब भी वही रुकी पड़ी हूँ ,
ठिठकी -सी !!
___ मीतू !!
August 9, 2011 at 10:21 AM �
कभी-कभी खुद पर रोना आता है ....
मन विचलित हो जाता है ,,
नही समझ पाते है की हम कहा आ गए ,
क्या यही चाह थी जो हम तुमसे पाए ??
_____ मीतू !
August 9, 2011 at 10:21 AM �
दरअसल मैं ही नही समझ पा रही हूँ ,
जिंदगी की इस पहेली को सुलझाऊ कैसे ??
टूटे हुए किरचो को बटोरते हुए ,
हाथो को लहू-लुहान होने से बचाऊं कैसे ??
_________ मीतू .!
August 9, 2011 at 10:22 AM �
एक जर्जर आत्मा,
बिखरा आस्तित्व ,
फूटा भाग्य ,
थके हुए शरीर के साथ ,
कैसे भागू मैं ,
इन विपरीत परिस्थितियों से ..!
सामना करने की ताकत भी नही
पूरे धरती पर छुपने की कोई जगह भी नही !!
_________ मीतू !
August 10, 2011 at 4:44 PM �
बहुत सुन्दर रचना , बहुत खूबसूरत प्रस्तुति आभार
August 10, 2011 at 10:37 PM �
सुंदर भावाभिव्यक्ति....
अच्छी प्रस्तुति....
शुभकामनाएं आपको..............
August 10, 2011 at 11:40 PM �
मुझे आपका ब्लॉग और रचनाएँ दोनों ही पसंद आए.
आपसे एक प्रश्न भी है मेरा कि आपने प्रेम का कैसा रूप देखा है? आपने खुद को कितना प्रेम किया है ?
आपके पास गहरी संवेदना है उसे और पकने दो .
अपने प्रेम को ऐसा विस्तार दो कि वह अनन्य हो जाय.
August 12, 2011 at 4:27 PM �
bahut sundar meetu g.apke lekhan me kuch alag hi kashish h.god bless u.
August 30, 2011 at 10:31 PM �
aapke sabdo ne kafi pravawit kiya....
apki rachana apni si lagi.
achank hi apke blog se aaj rubru ho gaya.
anandit kar diya apne.
keep ur pen on............
November 27, 2011 at 11:30 AM �
किरन जी आपकी रचना मे एक कशीश है जो बार बार देखने को उद्वेलित करता है. धन्यवाद.