क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर कविता का रूप ले लेती है!!
---किरण श्रीवास्तव "मीतू" !!
तुम वजूद की कहते हो, वो कोई मिटा नहीं सकता, बात पत्थर की आ जाए तो पत्थर आ नहीं सकता, खुद पे भरोसा करो इतना कि ऊपर वाला भी चाहे गर, तो तुम्हारा वजूद मिटा नहीं सकता. अपने पत्थर मारा नहीं करते कभी अपनों को, दिल से चाहो तो अपनों की छोड़ो, खुदा भी आड़े आ नहीं सकता.
meetu ji kya khub kha appne. par agar saamne wale ne pathar maarne me bhi koi kasar na chori ho to kya kiya jaae. kab tak or kitna sahan kiya jaae. kyo ab bhe usse nafrat karne ka dil nahi karta, pls bataaiye na
कुछ कर गुजरने की आग जीने नही देती,
कुछ न कर पाने का एहसास सोने नही देता!
यकीन की चिंगारी अश्क पीने नहीं देती,
अटल इरादा शिकस्त पे भी रोने नही देता !! ..... मीतू !!
क्यों लिखती हूँ नहीं जानती, पर लिखती हूँ... क्योकि महसूस करना चाहती हूँ प्रेम-पीड़ा-परिचय-पहचान! तन्हाई में जब आत्म मंथन करती हूँ तो व्यक्तिगत अनुभूतियाँ, अनुभव मेरी अभिव्यक्ति का माध्यम बनकर कविता का रूप ले लेती है!!
---किरण श्रीवास्तव "मीतू" !!
अपने दायरे !!
कुछ वीरानियो के सिलसिले आये इस कदर की जो मेरा अज़ीज़ था ..... आज वही मुझसे दूर है ..... तल्ख़ हुए रिश्तो में ओढ़ ली है अब मैंने तन्हाइयां !! ......... किरण "मीतू" !!
स्पंदन !!
निष्ठुर हूँ , निश्चल हूँ मैं पर मृत नही हूँ ... प्राण हैं मुझमे ... अभी उठना है दौड़ना हैं मुझे ... अपाहिज आत्मा के सहारे ... जीना है एक जीवन ... जिसमे मरण हैं एक बार ... सिर्फ एक बार !! ..... किरण " मीतू" !!
सतरंगी दुनिया !!
आस-पास , हास-परिहास , मैं रही फिर भी उदास ...आत्मा पर पड़ा उधार , उतारने का हुआ प्रयास ... खुश करने के और रहने के असफल रहे है सब प्रयास !! ..... किरण "मीतू" !!
उलझन !!
अकेले है इस जहां में , कहाँ जाए किधर जाए ! नही कोई जगह ऐसी की दिल के ज़ख्म भर जाए !! ... किरण "मीतू" !
तलाश स्वयं की !!
कुछ क्षण अंतर्मन में तूफ़ान उत्पन्न कर देते है और शब्दों में आकार पाने पर ही शांत होते है ! ..... मीतू !!
ज़ज़्बात दिल के !
मंजिल की तलाश में भागती इस महानगर के अनजानी राहो में मुझे मेरी कविता थाम लेती है , मुझे कुछ पल ठहर जी लेने का एहसास देती है ! मेरी कविता का जन्म ह्रदय की घनीभूत पीड़ा के क्षणों में ही होता है !! ..... किरण "मीतू" !!
मेरे एहसास !!
मेरे भीतर हो रहा है अंकुरण , उबल रहा है कुछ जो , निकल आना चाहता है बाहर , फोड़कर धरती का सीना , तैयार रहो तुम सब ..... मेरा विस्फोट कभी भी , तहस - नहस कर सकता है , तुम्हारे दमन के - नापाक इरादों को ---- किरण "मीतू" !!
आर्तनाद !
कभी-कभी जी करता है की भाग जाऊं मैं , इस खुबसूरत ,रंगीन , चंचल शहर से !! दो उदास आँखे .....निहारती रहती है बंद कमरे की उदास छत को ! . ..लेकिन भागुंगी भी कहाँ ? कौन है भला , जो इस सुन्दर सी पृथ्वी पर करता होगा मेरी प्रतीक्षा ? ..... किरण "मीतू" !!
मेरा बचपन - दुनिया परियो की !
प्रकृति की गोद में बिताये बचपन की मधुर स्मृतियाँ बार-बार मन को उसी ओर ले जाती है ! मानव जीवन में होने वाली हर बात मुझे प्रकृति से जुडी नज़र आती है तथा मैं मानव जीवन तथा प्रकृति में समीकरण बनाने का प्रयास करती हूँ !....किरण "मीतू
कविता-मेरी संवेदना !!
वेदना की माटी से , पीड़ा के पानी से , संवेदनाओ की हवा से , आँसूवो के झरनों से ! कोमल मन को जब लगती है चोट , निकलता है कोई गीत , और बनती है कोई कविता !! ..... मीतू !!
October 7, 2010 at 10:30 PM �
bahut khoob ....yahi hota hai sach mein...
October 12, 2010 at 2:16 AM �
Bahut sundar Meetu ji...
November 27, 2010 at 11:19 PM �
तुम वजूद की कहते हो, वो कोई मिटा नहीं सकता,
बात पत्थर की आ जाए तो पत्थर आ नहीं सकता,
खुद पे भरोसा करो इतना कि ऊपर वाला भी चाहे गर,
तो तुम्हारा वजूद मिटा नहीं सकता.
अपने पत्थर मारा नहीं करते कभी अपनों को,
दिल से चाहो तो अपनों की छोड़ो,
खुदा भी आड़े आ नहीं सकता.
November 27, 2010 at 11:53 PM �
Mesmerizing nd touching Meetu ma'm..!! Really,worth-praising yaar!
January 12, 2011 at 2:43 PM �
meetu ji kya khub kha appne. par agar saamne wale ne pathar maarne me bhi koi kasar na chori ho to kya kiya jaae. kab tak or kitna sahan kiya jaae. kyo ab bhe usse nafrat karne ka dil nahi karta, pls bataaiye na
January 19, 2011 at 10:52 AM �
Kya khub likhti ho bada sunder likhti ho
July 29, 2011 at 8:26 AM �
इतना दर्द....!!! नो .. !! सहा नहीं जाता ....!!!!!!!!!!
March 7, 2012 at 12:44 AM �
,kya kar sakta he ek shisha pthter ke samne; aa nhi sktaa koi himmat walo ke samne i dont know english good night