कितना खुशनुमा-सा दृश्य था आज सुबह का ! निशा
रानी को सुबह अपने चादर में लपेटती जा रही थी .... रात भी मानो सुबह के
बाहों में आकर उसी के उजले रंग में रंगने को मचल रही थी ......फिजा में
तैरती हुई प्रजिन भी वातायन के रास्ते आकर मेरे चेहरे पर अपना कोमल स्पर्श
करके कानो में फुसफुसा कर बाहर के उस सजीव माहौल में घुल मिल-जाने को
आमंत्रित कर गई .....बाहर झाँक कर देखा तो चिड़िया आपस में एक-दुसरे को रात
का स्वप्न सुनाने में लगी थी ! कुछ पंक्षी फिजा में यूँ तैर रहे थे जैसे की
वे खिलौने हो और वे रिमोट दबाते ही टप्प से नीचे गिर पड़ेंगे ! फिजा में
बहकती हुई फूलो की भीनी-भीनी दीवानी खुशबू सुबह को और भी खुशनुमा बना रही
थी ! दूर कहीं मंदिर से शंख-ध्वनि और घंटियों एवं मंजीरो के मधुर ध्वनि के
साथ राम-राम -- सीता-राम की आवाज़ कर्णप्रिय लग रही थी ... सच में आज का
प्रातः कालीन दृश्य कितना अद्भुत,कितना खुशनुमा था !! मीतू ....Copyright © |
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January 10, 2012 at 8:50 PM �
बेल-बुटों से भरी सोने के सितारों से सजी
ओढ़ कर नीली चादर .............
दमदमाती इठलाती बलखाती वो आकर
रजनी ने जगाया प्रभात को झकझोर कर..............
January 10, 2012 at 8:55 PM �
बेल-बुटों से भरी सोने के सितारों से सजी
ओढ़ कर नीली चादर .............
दमदमाती इठलाती बलखाती वो आकर
रजनी ने जगाया प्रभात को झकझोर कर..............
January 12, 2012 at 3:49 PM �
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर।
सादर
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जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है
January 12, 2012 at 3:49 PM �
आपको लोहड़ी हार्दिक शुभ कामनाएँ।
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कल 13/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
January 13, 2012 at 9:09 AM �
सुप्रभात...
दिन की शरुआत अच्छी हुई..
January 13, 2012 at 10:54 AM �
खूबसूरत अभिव्यक्ति ..
January 13, 2012 at 11:57 AM �
subah ka bahut sundar varnan kiya hai.pahli bar aapke blog par aai hoon.achcha laga.shubhkamnayen.
January 13, 2012 at 3:28 PM �
बहुत सुन्दर भावपूर्ण शब्द चित्र...
September 14, 2012 at 12:01 AM �
VERY NICE MEETU JI
May 22, 2015 at 7:52 PM �
अहा
जेसे साक्षात् प्रकृति स्वयं बोल रही हो
February 13, 2018 at 11:50 PM �
Very beautifully written